शेयर मार्केट,लॉटरी,सट्टा: जन्म कुंडली में ग्रह स्थिति
शेयर मार्केट, लॉटरी और सट्टा में जन्म कुंडली के ग्रहों की स्थिति का बेहद महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। इनमें खासकर पंचम भाव, एकादश भाव, अष्टम भाव, तथा दूसरे, पाँचवें, नौवें और ग्यारहवें भावों का योग और ग्रह स्वामियों की स्थिति लाभ या नुकसान तय करती है। राहु, बृहस्पति, बुध और गुरु जैसे ग्रहों की अनुकूल स्थिति शेयर मार्केट, लॉटरी और सट्टे में सफलता का संकेत देती है, जबकि राहु और चंद्रमा की कुछ युक्तियां नुकसान भी करा सकती हैं।
शेयर मार्केट के लिए ग्रह स्थिति
पंचम भाव और पंचमेश (पंचम भाव के स्वामी) की शक्ति और स्थिति शेयर मार्केट में लाभ की संभावना बताती है।
बृहस्पति विस्तार और वित्तीय विकास का ग्रह है; इसकी शुभ दृष्टि निवेश के लिए अच्छा संकेत देती है।
बुध बुद्धि, विश्लेषण और सूचित निर्णयों से जुड़ा है, इसका मजबूत प्रभाव शेयर मार्केट में अच्छी समझ और लाभदायक निवेश दिखाता है।
शनि दीर्घकालिक स्थिरता, अनुशासन और सतर्कता की भूमिका निभाता है, जिससे जोखिम सहनशीलता बढ़ती है।
राहु, सट्टा, लॉटरी और अप्रत्याशित वित्तीय क्षेत्र से जुड़ा माना जाता है, इसकी स्थिति जोखिम और अचानक लाभ-हानि दोनों को प्रभावित करती है।
लॉटरी और सट्टा से जुड़ी कुंडली स्थितियां
ज्योतिष में राहु का प्रभाव सट्टा, लॉटरी और कमोडिटी बाजार से विशेष रूप से जुड़ा है।
अष्टम भाव की मजबूती इन जोखिमपूर्ण क्षेत्रों में लाभ सुनिश्चित कर सकती है।
पंचम भाव और एकादश भाव की शुभ स्थिति से भी अचानक लाभ की संभावनाएं बनती हैं।
विशेष ग्रह योग और संकेत
यदि पंचमेश स्व या उच्च राशि में शुभ स्थान पर हो तो लाभ की संभावना बढ़ती है।
राहु और सूर्य, राहु और चंद्रमा या बृहस्पति और राहु के संयोजन से शेयर मार्केट में सतर्कता जरूरी होती है।
दूसरे और ग्यारहवें भाव के मजबूत ग्रह, विशेषकर बृहस्पति, शुक्र और मंगल के प्रभाव से ट्रेडिंग में सफलता मिलती है।
जन्म कुंडली में चंद्र मंगल योग, राहु और बुध के अच्छे स्थान ट्रेडिंग में सहायता करते हैं।
इस प्रकार, शेयर मार्केट, लॉटरी और सट्टा में सफलता के लिए कुंडली के पंचम, आठवें, एकादश भाव और राहु, बृहस्पति, बुध व शनि की ग्रह स्थिति का विश्लेषण अत्यंत जरूरी होता है। ज्योतिष से ये समझना संभव है कि किस समय निवेश फायदेमंद रहेगा और किन ग्रह योगों से सतर्क रहना चाहिए ताकि नुकसान से बचा जा सके।
ज्योतिष में आर्थिक लाभ, जोखिम, अटकलबाजी, सट्टा, शेयर मार्केट आदि का विचार मुख्य रूप से कुछ विशेष भावों (houses), ग्रहों (planets) और उनकी दशा/गोचर के आधार पर किया जाता है।
मुख्य भाव (Houses)
२रा भाव (धन भाव)
यह धन, जमा पूंजी, वाणी, परिवार, संसाधनों का कारक है। आर्थिक स्थिति का आधार।
यहाँ शुभ ग्रह (गुरु, शुक्र, बुध) होने से धन की स्थिति बेहतर होती है।
५वाँ भाव (पंचम भाव)
निवेश, सट्टा, लॉटरी, रिस्क, खेल, प्रेम, बुद्धि का भाव।
शेयर बाजार, जुआ, सट्टा आदि में लाभ या हानि का विश्लेषण इसी भाव से किया जाता है।
८वाँ भाव (अचानक लाभ, दुर्घटना, रहस्य)
यह भाव जोखिम, अचानक धन, बीमा, विरासत, संकट, गुप्त धन आदि का प्रतिनिधित्व करता है।
लॉटरी या अप्रत्याशित धन का संकेत।
११वाँ भाव (लाभ भाव)
इच्छाएँ, लाभ, नेटवर्क, दोस्त, आकांक्षा, सामाजिक समर्थन का भाव।
शेयर से लाभ, बड़े निवेश से फायदा इसी से देखा जाता है।
मुख्य ग्रह
ग्रह | भूमिका |
---|---|
गुरु (बृहस्पति) | धन, विस्तार, भाग्य, निवेश में स्थिरता देता है। शुभ हो तो अच्छा लाभ। |
शुक्र | सुख, भोग, आकर्षण, विलासिता; निवेश से लाभ, लेकिन अधिक आकर्षण से हानि भी। |
बुध | व्यापार, बुद्धि, गणना, रणनीति; शेयर मार्केट में महत्वपूर्ण। |
शनि | धीमा लाभ, अनुशासन, परिश्रम; जोखिम में संयम देता है, लेकिन अशुभ हो तो नुकसान। |
राहु | लालच, छल, अचानक लाभ या नुकसान, विदेशी निवेश, असामान्य मार्ग। |
केतु | अलगाव, अचानक नुकसान या आध्यात्मिक जागरण; व्यापार में अनिश्चितता। |
मंगल | साहस, आक्रामक निवेश, प्रतियोगिता, जोखिम। |
शेयर मार्केट, लॉटरी, सट्टा में योग
५वें भाव का संबंध २, ८ और ११ भाव से
यदि पंचमेश (५वें भाव का स्वामी) धन भाव, लाभ भाव या अष्टम भाव से संबंध बनाता है तो व्यक्ति रिस्क लेकर धन अर्जित करता है।
राहु या शुक्र का प्रभाव
राहु अचानक लाभ और लालच का कारक है।
शुक्र विलासिता, निवेश और आनंद से जोड़ता है।
इनके साथ गुरु या बुध का शुभ प्रभाव लाभ देता है।
मंगल की स्थिति
यदि मंगल पंचम या अष्टम भाव से जुड़ा हो तो साहस और जोखिम से धन लाभ संभव, लेकिन असंयम से नुकसान भी।
शनि का प्रभाव
अनुशासन देता है। यदि शनि मजबूत हो तो लंबी अवधि का निवेश लाभकारी, अन्यथा बाधाएँ।
गुरु की दृष्टि या स्थिति
पंचम भाव या उसके स्वामी पर गुरु की दृष्टि हो तो निवेश में बुद्धिमत्ता और स्थिर लाभ मिलता है।
उदाहरण योग
पंचम भाव में शुक्र, बुध या गुरु — निवेश में समझदारी और लाभ।
पंचमेश धन या लाभ भाव में — निवेश से धन अर्जन।
अष्टम भाव में राहु — अचानक लाभ या नुकसान, लॉटरी में भाग्य।
११वें भाव में गुरु — लाभ की संभावना, अच्छे संपर्क।
मंगल + राहु पंचम भाव में — जोखिम लेकर लाभ पाने की प्रवृत्ति, लेकिन संयम जरूरी।
शनि पंचम भाव में — अनुशासन, धीरे-धीरे स्थायी लाभ।
सावधानियाँ
राहु या केतु की स्थिति गलत हो तो लालच, अस्थिरता और हानि हो सकती है।
पंचम भाव या अष्टम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव निवेश में नुकसान कर सकता है।
केवल ग्रहों पर निर्भर रहना उचित नहीं; आर्थिक निर्णय विवेक से लें।
जन्म कुंडली में २रा, ५वाँ, ८वाँ और ११वाँ भाव तथा गुरु, शुक्र, बुध, राहु, मंगल की स्थिति देखकर किसी व्यक्ति की निवेश प्रवृत्ति, जोखिम लेने की क्षमता और भाग्य का विश्लेषण किया जाता है। शुभ प्रभाव हो तो शेयर, लॉटरी या सट्टे से लाभ संभव है, परंतु अशुभ स्थिति में नुकसान भी होता है। इसलिए विवेक, संयम और समय का ध्यान आवश्यक है।