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ज्योतिष के अनमोल सिद्ध सूत्र

ज्योतिष के अनमोल सिद्ध सूत्र: यहाँ ज्योतिष के 25 अनमोल सिद्ध सूत्र दिए जा रहे हैं, जो विभिन्न प्रमाणित स्रोतों और अनुभवी ज्योतिषियों के अनुभवों पर आधारित हैं। ये सूत्र कुंडली विश्लेषण, योग-निर्माण, और जीवन के विविध पहलुओं को समझने में सहायक हैं:

  1. लग्नेश द्वादश या बाहरवें भाव में हो तो व्यक्ति के शत्रु अधिक होते हैं और उस पर झूठे आरोप लग सकते हैं।

  2. राहु की महादशा में केतु की अंतर्दशा विशेष रूप से कष्टदायक होती है।

  3. धनेश नवम या एकादश भाव में हो तो बाल्यकाल कष्टदायक, परंतु बाद का जीवन सुखमय होता है।

  4. लग्नेश और धनेश का स्थान परिवर्तन हो तो व्यक्ति को धन की कभी कमी नहीं रहती।

  5. सूर्य एकादश भाव में हो तो शत्रु अधिक होते हैं, परंतु उन पर विजय मिलती है।

  6. अष्टमेश पर गुरु की दृष्टि हो तो व्यक्ति दीर्घायु होता है।

  7. स्त्री की कुंडली में राहु दूसरे भाव में हो तो उसे विदेश में सुख मिलता है।

  8. शनि उच्च का होकर मंगल की दृष्टि में हो तो नेतृत्व क्षमता प्रबल होती है।

  9. शुक्र एकादश भाव में हो तो विवाह उपरांत अच्छा धन लाभ होता है।

  10. सूर्य के दोनों ओर कोई ग्रह हो (चंद्रमा छोड़कर) तो व्यक्ति तेज बोलने वाला और सफल होता है।

  11. स्थिर लग्न, शुक्र केंद्र में, चंद्र त्रिकोण में गुरु के साथ, शनि दशम में—ऐसा व्यक्ति प्रभावशाली और सुखी होता है।

  12. चंद्रमा दूसरे या आठवें भाव में हो तो पसीना अधिक आता है।

  13. दशम भाव में मंगल-बुद्ध साथ हों तो शरीर से दुर्गंध आती है।

  14. पाप ग्रह अष्टम में रोग और आलस्य बढ़ाते हैं।

  15. सप्तम भाव में शुक्र या उसका संबंध शुक्र से हो तो दाम्पत्य जीवन बाधित होता है।

  16. तीसरे व छठे भाव में शुक्र (यदि सूर्य से आगे न हो) तो शोक/रोग देता है।

  17. शुभ ग्रह उच्च में सम्पूर्ण शुभ फल देते हैं; नीच में फल शून्य।

  18. महाभाग्य योग: दिन में जन्म, लग्न-चंद्र-सूर्य विषम राशि में, या रात में सम राशि में—ऐसे जातक को सभी सुख मिलते हैं।

  19. द्वितीयेश पापयुक्त हो तो व्यक्ति अधिक भोजन करता है।

  20. पंचमेश अष्टम में हो तो विवेक सुप्त रहता है।

  21. बली दशमेश द्वितीय में हो तो प्रसिद्धि मिलती है।

  22. दशमेश छठे, आठवें, बारहवें भाव में हो तो वाहन से चोट की संभावना रहती है।

  23. लग्न, लग्नेश या बुध से 2, 4, 5 भावेश संबंध—व्यक्ति विद्वान होता है।

  24. लग्न, लग्नेश, लाभेश चर राशि में व चर ग्रह दृष्टि में—भाग्योदय विदेश में होता है।

  25. लग्नेश नीच का हो तो व्यक्ति क्रोधी बनता है।

इन सूत्रों का प्रयोग करते समय संपूर्ण कुंडली का गहन अध्ययन आवश्यक है।

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